हाजी अली दरगाह मुंबई के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। समुंद्र के बीचों-बीच स्थित यह दरगाह की खास बात यह है कि यह समुद्र में होने के बावजूद हाजी अली दरगाह क्यों नहीं डूबती। इस दरगाह का इतिहास, वास्तुकला और आस्था से जुड़ी मान्यताएं इसे एक अनोखा धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाती है। इस लेख में हम जानेंगे हाजी अली दरगाह का इतिहास और यह क्यों नहीं डूबती।
हाजी अली दरगाह का इतिहास
दरगाह का इतिहास 15 वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। यह दरगाह मुस्लिम संत सैय्यद हाजी अली शाह बुखारी की याद में बनाई गई थी। हाजी अली शाह बुखारी एक धनी व्यापारी थे जिन्होंने मक्का की यात्रा बाद अपना जीवन आध्यामिकता के लिए समर्पित कर दिया। वह मक्का से हज करने के बाद भारत लौटे और लोगों की मदद करने लगे। उनकी निधन के बाद उनके मानने वाले (अनुयायियों) ने उनकी याद में यह दरगाह बनाई।
इस दरगाह का निर्माण उस समय की इस्लामी वास्तुकला के अनुसार किया गया था। दरगाह के अंदर हाजी अली की कब्र स्थित है, जिसे बहुत सम्मान के साथ रखा गया है। यह स्थल अब केवल एक धार्मिक स्थान नहीं है, बल्कि एक पर्यटन स्थल भी बन चुका है, जहां हर दिन हजारों लोग आते हैं।
हाजी अली दरगाह क्यों नहीं डूबती?
दरगाह के समुद्र में होने के बावजूद यह डूबती नही है और यह बात हमेशा लोगों को चौकाती है। इसके पीछे कई वजह मानी जाती है। चलिए जानतें हैं, हाजी अली दरगाह क्यों नहीं डूबती है और इसका रहस्य।
1.मजबूत निर्माण
हाजी अली दरगाह बहुत मजबूत पत्थरों से बनी है। जो समुद्र की लहरों से सहन कर सकते हैं। इसके आधार को बहुत मजबूती से तैयार किया गया था ताकि लहरों और ज्वार- भाटे का सामना कर सके।
2. धार्मिक विश्वास
कुछ लोग मानते हैं कि यह दरगाह एक चमत्कार के वजह से डूबती नही है। उनका विश्वास है कि हाजी अली की आत्मा दरगाह की रक्षा करती है और इसलिए यह सुरक्षित रहती है।
3. टापू की संरचना
दरगाह जिस छोटे से टापू पर बनी है उसकी संरचना ऐसी है कि यह पानी के बहाव को झेल पाती है। इस वजह से, चाहे ज्वार कितना भी बढ़ जाए, दरगाह सुरक्षित रहती है।
दरगाह की वास्तुकला
हाजी अली दरगाह की इमारत सफेद संगमरमर से बनी है। जो इसे बहुत खूबसूरत ही बनाती है। इसका मुख्य गुंबद और चारों ओर की दीवारें इस्लामी शैली की वास्तुकला को दर्शाती है। दरगाह के अंदर संत हाजी अली की कब्र है जिसे रेशमी कपड़े और चांदी से सजाया गया है। यहां का वातावरण बहुत शांत और खूबसूरत होता है। जिसे लोग खुद को भगवान के करीब महसूस करते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हाजी अली दरगाह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नही है बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है। यहां हर धर्म के लोग आते हैं। चाहे वे किसी भी आस्था से हों। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि दरगाह में मांगने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे पूरी जीवन में सुख-शांति पाते हैं।
दरगाह में हर गुरुवार और शुक्रवार को विशेष प्रार्थनाएं और सूफी कव्वाली का आयोजन होता है। सूफी संगीत और कव्वाली यहां की सूफी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां के मानने वाले मानते हैं कि दरगाह में गए जाने वाले कव्वाली उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।
दरगाह से जुड़ी लोककथाएं
हाजी अली दरगाह से कई लोककथाएं और चमत्कार जुड़ी हुई है। एक लोककथा के अनुसार, जब हाजी अली मक्का जा रहे थे तो उन्होंने समुद्र में एक पत्थर फेंका और कहा कि उनकी दरगाह उसी स्थान पे बनेगी जहां वह पत्थर गिरेगा। यह दरगाह उसी जगह पर बनी है। और यह लोग चमत्कार मानते हैं।
कई मानने वाले लोग मानते हैं कि दरगाह में आकर प्रार्थना या दुआ करने से उनकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं और वे मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। यहां आने वाले कई लोग अपनी जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इस पवित्र स्थल पर आते हैं यह दरगाह आस्था और विश्वास का प्रतीक है। जहां हर कोई अपनी मन्नत पूरी होने की उम्मीद लेकर आता है।
हाजी अली दरगाह की यात्रा
अगर आप हाजी अली दरगाह की यात्रा करना चाहते हैं तो यह एक अच्छा अनुभव होगा। दरगाह तक पहुंचने के लिए आपको समुद्र के बीचों-बीच से एक पतली पगडंडी पर चलना पड़ता है। ज्वार के समय यह पगडंडी पानी में डूब जाती है। इसलिए आपको सही समय पर दरगाह तक पहुंचना होता है। जब ज्वार काम होता है, तो पगडंडी साफ दिखाई देती है। और लोग आसानी से दरगाह तक जा सकते हैं।
दरगाह में पहुंचते ही आपको समुद्र के बीचों बीच एक शांत और पवित्र वातावरण का अनुभव होगा। यहां का नज़ारा बहुत खूबसूरत होता है। जहां आप समुद्र की लहरों और शांत माहौल का आनंद ले सकते हैं। दरगाह का यह स्थान आध्यामिक यात्रा की तरह होता है जो आपको मानसिक शांति और आस्था से भर देता है।
हाजी अली दरगाह तक कैसे पहुंचें?
हाजी अली दरगाह मुंबई के वर्ली तट से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। आप यहां टैक्सी या बस के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। दरगाह तक पहुंचने के लिए आपको समुद्र के बीच से एक पगडंडी से होकर गुजरना पड़ता है। ज्वार के समय इस पगडंडी का एक हिस्सा पानी में डूब जाता है, इसलिए यात्रा की योजना ज्वार के समय का ध्यान रखना आवश्यक है। ज्वार के कम होने पर यह पगडंडी साफ नजर आती है। जिससे मानने वाले (श्रद्धालुओं) आसानी से दरगाह तक पहुंच सकते हैं।
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हाजी अली दरगाह एक ऐसा स्थान है, जो धर्म आस्था और चमत्कार का संगम है। यह दरगाह समुद्र के बीचों बीच होने के बावजूद कभी डूबती नही है, जो इसे और भी खास बनाता है। इसका इतिहास, वास्तुकला और धार्मिक महत्व इसे भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक बनाते है। यहां आकर न केवल धार्मिक अनुभव प्राप्त करेंगे, बल्कि मानसिक शांति और आध्यामिकता से भी भरपूर होंगे। अगर आप कभी मुंबई जाएं तो हाजी अली दरगाह की यात्रा जरूर करें और आदित्यता का अनुभव लें